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Monday, May 30, 2011

भारत की आजादी के आन्दोलन के प्रखर नेता लाला लाजपथ राय का नाम ही देशवासियों में स्फूर्ति तथा प्रेरणा का संचार कराता है।

*पंजाब केसरी लाला लाजपत राय:- लालाजी ने गर्जना करते हुए कहा-मेरे शरीर पर
पडी़ लाठी की प्रत्येक चोट अंग्रेजी साम्राज्य के कफन की कील का काम करेगी।*
*ॐ
जय भारत माँ ,
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*भारत की आजादी के आन्दोलन के प्रखर नेता लाला लाजपथ राय का नाम ही देशवासियों
में स्फूर्ति तथा प्रेरणा का संचार कराता है। अपने देश धर्म तथा संस्कृति के
लिए उनमें जो प्रबल प्रेम तथा आदर था उसी के कारण वे स्वयं को राष्ट्र के लिए
समर्पित कर अपना जीवन दे सके। भारत को स्वाधीनता दिलाने में उनका त्याग, बलिदान
तथा देशभक्ति अद्वितीय और अनुपम थी। उन्होंने कई बार विदेश यात्राएँ की और वहाँ
रहकर पश्चिमी देशों के समक्ष भारत की राजनैतिक परिस्थिति की वास्तविकता से वहां
के लोगों को परिचित कराया तथा उन्हें स्वाधीनता आन्दोलन की जानकारी दी। लाला
लाजपतराय ने अपने सहयोगियों-लोकमान्य तिलक तथा विपिनचन्द्र पाल के साथ मिलकर
कांग्रेस में उग्र विचारों का प्रवेश कराया। 1907 में जब पंजाब के किसानों में
अपने अधिकारों को लेकर चेतना उत्पन्न हुई तो सरकार का क्रोध लालाजी तथा सरदार
अजीतसिंह (शहीद भगतसिंह के चाचा) पर उमड़ पड़ा और इन दोनों देशभक्त नेताओं को
देश से निर्वासित कर उन्हें पड़ोसी देश बर्मा के मांडले नगर में नजरबंद कर
दिया, किन्तु देशवासियों द्वारा सरकार के इस दमनपूर्ण कार्य का प्रबल विरोध
किये जाने पर सरकार को अपना यह आदेश वापस लेना पड़ा।भारतीयों को स्वदेश-हित के
लिए बलिदान तथा महान् त्याग करने की प्रेरणा भी देती है। उत्तर भारत में भयंकर
दुष्काल पड़ा तो लालाजी ने अपने साथी लाला हंसराज के सहयोग से अकालपीडि़त लोगों
को सहायता पहुँचाई। जिन अनाथ बच्चों को ईसाई पादरी अपनाने के लिए तैयार थे और
अन्तत: जो उनका धर्म-परिवर्तन करने के इरादे रखते थे उन्हें इन मिशनरियों के
चुंगुल से बचाकर फीरोजपुर तथा आगरा के आर्य अनाथलायों में भेजा। लाला लाजपतराय
ने अपने सहयोगियों के द्वारा राजनीति में गरम दल की विचारधारा का सूत्रपात कर
दिया था और जनता को यह विश्वास दिलाने में सफल हो गये थे कि केवल प्रस्ताव पास
करने और गिड़गिड़ाने से स्वतंत्रता मिलने वाली नहीं है। हम यह देख चुके हैं कि
जनभावना को देखते हुए अंग्रेजों को उनके देश-निर्वासन को रद्द करना पड़ा था। वे
स्वदेश आये और पुन: स्वाधीनता के संघर्ष में जुट गये। 20 फरवरी, 1920 को जब वे
स्वदेश लौटे तो अमृतसर में जलियावाला बाग काण्ड हो चुका था और सारा राष्ट्र
असन्तोष तथा क्षोभ की ज्वाला में जल रहा था। जब उनका पं0 मोतीलाल नेहरू से
कतिपय राजनैतिक प्रश्नों पर मतभेद हो गया तो उन्होंने नेशनलिस्ट पार्टी का गठन
किया |
जीवन संध्या 1928 में जब अंग्रेजों द्वारा नियुक्त साइमन भारत आया तो देश के
नेताओं ने उसका बहिस्कार करने का निर्णय लिया। 30 अक्टूबर, 1928 को कमीशन लाहौर
पहुँचा तो जनता के प्रबल प्रतिशोध को देखते हुए सरकार ने धारा 144 लगा दी।
लालाजी के नेतृत्व में नगर के हजारों लोग कमीशन के सदस्यों को काले झण्डे
दिखाने के लिए रेलवे स्टेशन पहुँचे और 'साइमन वापस जाओÓ के नारों से आकाश गुँजा
दिया। इस पर पुलिस को लाठीचार्ज का आदेश मिला। उसी समय अंग्रेज सार्जेंट
साण्डर्स ने लालाजी की छाती पर लाठी का प्रहार किया जिससे उन्हें सख्त चोट
पहुँची। उसी सायं लाहौर की एक विशाल जनसभा में एकत्रित जनता को सम्बोधित करते
हुए नरकेसरी लालाजी ने गर्जना करते हुए कहा-मेरे शरीर पर पडी़ लाठी की प्रत्येक
चोट अंग्रेजी साम्राज्य के कफन की कील का काम करेगी। इस दारुण प्रहात से आहत
लालाजी ने अठारह दिन तक विषम ज्वर पीड़ा भोगकर 17 नवम्बर 1928 को परलोक के लिए
प्रस्थान किया।

अब तो जनता को स्वामी राम देव जी का ही सहारा है देश से इस गंदगी को उठाकर बहार
फेंकने के लिए !
यदि देश प्रेमियों आज भारत की वर्तमान स्तिथि से संतुष्ट नहीं हो तो भ्रस्टाचार
मिटाओ सत्याग्रह " का समर्थन करने के लिए 02233081122 पर मिस कॉल करे तथा
SURVEY REPORT इस WEBSITE पर अवश्य दें - www.ramdevsurvey.com, तथा औरों को
प्रेरित करें ! <http://www.ramdevsurvey.com/>
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* 4 जून 2011 को दिल्ली के रामलीला मैदान में स्वामीजी स्वयं अनिश्चित कालीन
उपवास (आमरण अनशन ) पर बैठेंगे ।*
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* * राष्ट्रहित में तीन माँगे * * 1. लगभग चार सौ लाख करोड़ रुपये का काला धन जो
की राष्ट्रीय संपत्ति है यह देश को मिलना चाहिए ।
2. सक्षम लोकपाल का कठोर कानून बनाकर भ्रष्टाचार पर पूर्ण अंकुश लगाना ।
3. स्वतंत्र भारत में चल रहा विदेशी तंत्र (ब्रिटिश रूल ) खत्म होना चाहिए
जिससे कि सबको आर्थिक व सामाजिक न्याय मिले
* *आपसे निवेदन :-- इस आन्दोलन की जानकारी अपने* *
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* *मिलने वालों तक अवस्य पहुचाएं .,SMS ,EMAIL ,MOBILEPHONE ,* *तथा अन्य
माध्यमों द्वारा | कृय्पा इस नम्बर पर -02233081122* *MISSCALL देकर अपना तथा
मिलने वालों का पंजीकरण अवस्य कराएँ ,* *इस अभियान से जुड़ने के लिए |* *


Sunday, April 10, 2011

हमारे चमड़े के बेग कहाँ से आते हें ?





































































































में
आप लोंगोसे विनती करता हूँ चमड़े से बने सामान न खरीदें हमें कोई हक नही हे की हम अपने मनोरंजन के लिए इन मासूम प्राणियों की हत्या करें अगर हम चमड़े का समान न खरीदें तो हम इन मासूम प्राणियों की हत्या होने से रोक सकते हें किर्पया ये सभी को दिखाएँ ताकि लोगों की ऑंखें खुल सकें ये बेजुबान मासूम प्राणी रो रहे हें कह रहे हें कोई तो हमे बचालो ?